कोई कब तक भला उदास रहे
कोई अपना तो आस-पास रहे
कह सकें जिससे लगी इस दिल की
कोई तो इस क़दर भी खास रहे
कभी तो मुझपे मेहरबाँ हो तू
तेरी बातों मे भी मिठास रहे
इन अंधेरों मे ऊबता है मन
अब तो हो भोर,कुछ उजास रहे
कोई बुरा नही ऊँचा उड़ना
बस ज़मीनों का भी एहसास रहे
अर्ज़ इतनी कोई ना हो भूखा
ए खुदा सबके तन लिबास रहे
nahi samajh aa raha hai ki kya likhe,
ReplyDeletebas itna hi kah sakta hun ki sath rahe.......
बेहद खूबसूरत गज़ल.............
ReplyDeleteकोई बुरा नही ऊँचा उड़ना
बस ज़मीनों का भी एहसास रहे
वाह!!!
सभी शेर लाजवाब..
अनु
waah! waah!
ReplyDeleteकोई बुरा नही ऊँचा उड़ना
बस ज़मीनों का भी एहसास रहे
ye sher sabse umda laga