Friday, September 10, 2010

seb

फलों की मण्डी से गुज़रते हुए
जब मुझे दिखी
सेबों की ठिलिया के ऊपर
लगे बल्ब में
चढ़ी लाल पन्नी
तो सहसा
मेरे दिमाग में ये ख्याल आया
क़ि इस पन्नी ने
भर दिया है
पूरे मंज़र को
एक बनावटीपन से

अब तो तुम
समझ ही गयी होगी
की मैं तुम्हे
क्यों mana करता हूं
अपने पहले से ही
लाल गालों पे
लाली मलने से

अब भला कश्मीरी सेबों को
(जिनके मुकाबले में कोई नहीं)
क्या ज़रुरत है
खुद को साबित करने के लिए
नकली लालिमा ओढने की...........