Thursday, April 25, 2013

दुविधा

मुझे

एक सा अचंभित करती हैं



अंधेरे का हर भेद

खोल के रख देने वाली

सूरज की निर्दयी धूप

या फिर

सिर्फ़ अपने होने का

कोमल आभास कराने वाली

जुगनू की टिम टिम रोशनी



दुविधा ये है

कि होने की चाह मे दोनो

मैं हो नही पाता हूँ

कुछ भी