दरिया मीठे खारे तेरी आँखों मे
उबर सका ना कोई इनमे जो उतरा
डूबे साहिल सारे तेरी आँखों मे
रोशन हो जाता है जग जब नैन खुलें
चंदा सूरज तारे तेरी आँखों मे
अंबर का विस्तार समाया है इनमे
उड़ते पंछी हारे तेरी आँखों मे
बिन इनके इक कदम भी चलना मुश्किल है
मेरे सभी सहारे तेरी आँखों मे
मेरे हर इक ख्वाब की मंज़िल हैं ये ही
सारे ख्वाब हमारे तेरी आँखों मे
मंदिर की हर गूँज अज़ानें मस्ज़िद की
गिरजा और गुरुद्वारे तेरी आँखों मे
वाह योगेश!
ReplyDeleteक्या शेर कहे हैं
"उडते पंछी हारे..........." ये तो कमाल का हैं!
waaaaaaah .....bahut khooob :)
ReplyDeleteवाह वाह क्या बढ़िया शेर हैं, एक से बढ़कर एक...
ReplyDeleteऔर इस शेर का तो वाकई कोई जवाब नहीं... 'अम्बर का विस्तार समाया है इनमें...'
Bahut hi badhiya ghazal hai bhai! Maza aa gaya padh ke! :)
ReplyDeleteरोशन हो जाता है जग जब नैन खुलें
ReplyDeleteचंदा सूरज तारे तेरी आँखों मे
Bhai Waah...Khoobsurat Ghazal...Daad kabool karen
Neeraj