कोई कब तक भला उदास रहे
कोई अपना तो आस-पास रहे
कह सकें जिससे लगी इस दिल की
कोई तो इस क़दर भी खास रहे
कभी तो मुझपे मेहरबाँ हो तू
तेरी बातों मे भी मिठास रहे
इन अंधेरों मे ऊबता है मन
अब तो हो भोर,कुछ उजास रहे
कोई बुरा नही ऊँचा उड़ना
बस ज़मीनों का भी एहसास रहे
अर्ज़ इतनी कोई ना हो भूखा
ए खुदा सबके तन लिबास रहे