काले चश्मों के भीतर है काला सच
छुपा लिया है सबने अपना वाला सच
शाम को भी क्यूँ आँख पे काले चश्मे हैं
फ़ैशन मे है दुनिया गड़बड़झाला सच
हर पल रंग बदलने वाला झूठ नही
पास मेरे है मेरा भोला-भाला सच
जिसने जैसा समझा वैसा मोड़ दिया
सबने अपने सांचो मे है ढाला सच
अपने छोटे छोटे स्वार्थ की खातिर ही
हमने,तुमने,सबने मिलकर टाला सच
झूठ है चढ़ बैठा दुनिया के मस्तक पर
पाँव के नीचे जैसे दुखता छाला सच
धज्जी धज्जी होकर चकनाचूर हुआ
न्यायालय मे जब भी गया उछाला सच