Thursday, May 3, 2012

सारे ख्वाब हमारे तेरी आँखों मे

सेहरा और मझधारे तेरी आँखों मे
दरिया मीठे खारे तेरी आँखों मे


उबर सका ना कोई इनमे जो उतरा
डूबे साहिल सारे तेरी आँखों मे


रोशन हो जाता है जग जब नैन खुलें
चंदा सूरज तारे तेरी आँखों मे


अंबर का विस्तार समाया है इनमे
उड़ते पंछी हारे तेरी आँखों मे


बिन इनके इक कदम भी चलना मुश्किल है
मेरे सभी सहारे तेरी आँखों मे


मेरे हर इक ख्वाब की मंज़िल हैं ये ही
सारे ख्वाब हमारे तेरी आँखों मे


मंदिर की हर गूँज अज़ानें मस्ज़िद की
गिरजा और गुरुद्वारे तेरी आँखों मे


5 comments:

  1. वाह योगेश!
    क्या शेर कहे हैं
    "उडते पंछी हारे..........." ये तो कमाल का हैं!

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  2. वाह वाह क्या बढ़िया शेर हैं, एक से बढ़कर एक...
    और इस शेर का तो वाकई कोई जवाब नहीं... 'अम्बर का विस्तार समाया है इनमें...'

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  3. Bahut hi badhiya ghazal hai bhai! Maza aa gaya padh ke! :)

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  4. रोशन हो जाता है जग जब नैन खुलें
    चंदा सूरज तारे तेरी आँखों मे

    Bhai Waah...Khoobsurat Ghazal...Daad kabool karen

    Neeraj

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