Friday, September 23, 2011

दुनिया है बाज़ार समझ लो

जीवन का ये सार समझ लो
जीना है दुश्वार समझ लो

आँगन आँगन धूप क़ैद है
ऐसा ये संसार समझ लो

सीरत छुपी हुई है भीतर
सूरत के उस पार समझ लो

छुपा के रखना चोर बहुत हैं
आँखों के उजियार समझ लो

ख्वाब तुम्हे परखेगा पहले
तब होगा साकार समझ लो

दूर ही रखना आग की सच से
है कपूर सा प्यार समझ लो

वक़्त के पहले भरना बेहतर
छोटी अभी दरार समझ लो

पकड़ के रखना भव सागर मे
मन की ये पतवार समझ लो

ईमानों को बेच ना देना
दुनिया है बाज़ार समझ लो

3 comments:

  1. mindblowing..har ek baat khari hai ek dam :)

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  2. वाह! वाह! बेहतरीन शेर हैं सब. ये वाले बहुत गहरे लगे!

    सीरत छुपी हुई है भीतर
    सूरत के उस पार समझ लो

    ख्वाब तुम्हे परखेगा पहले
    तब होगा साकार समझ लो

    वक़्त के पहले भरना बेहतर
    छोटी अभी दरार समझ लो

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  3. bahut hi behtareen sher, gehan bhavon ko samete huye... 'khwaab tumhen parkhega pehle, tab hoga sakaar samajh lo'... behud badhiya sher...

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