ताज़ा खबर है
कि अब
कच्ची ही रहेंगी
बस्तियों की झोपड़ियाँ
क्योंकि रोक लेंगी
धूप का सारा रास्ता
हर तरफ फैलती हुई
ऊँची इमारतें
अब और भी होंगे पक्के
उनके रंग
सोखकर
ग़रीब बस्तियों के
हिस्से की धूप
ताज़ा खबर है
कि अब
ऊँची इमारतों की छत पर
खुदा की खातिर बनेगे
हैलीपैड
सुना है कि खुदा
अब पाँव नही करेगा मैले
धूल और कीचड़ से सनी
संकरी गलियों मे जाकर
ताज़ा खबर है
कि नयी व्यवस्था मे
अब कोई नही होगा
मसीहा
कमज़ोरों का
hmm.... acchi kavita hui hai.....shayad ye sthiti aa hi chuki hai..........
ReplyDeleteThanks vartika
Deleteसुना है कि खुदा
ReplyDeleteअब पाँव नही करेगा मैले
धूल और कीचड़ से सनी
संकरी गलियों मे जाकर
Waah Yogesh bhai! Maza aa gaya padh ke! :)
Thanks Hussain bhai
DeleteBASTIYON KO KACCHI HI REHNE DO........NAHI TO BANANE UJADNE KA SILSILA YAHIN THAM JAAYEGA.........AUR PHIR DHOOP KE INTEZAAR MEIN.....SULAGTE RAHENGE MAN YUN HI....UMAR BHAR.
ReplyDeleteNICE ONE.....KEEP IT UP DEEPU.......
Thanks bhai
Deletenice piece of poetry... bitter truth though...
ReplyDeleteThank you very much.
Delete