नींद गई उस देस सजनवा
गये हो तुम जिस देस सजनवा
राह तके पथराईं आँखें
लौटो अब इस देस सजनवा
बिरहा हमे डराये धरकर
अँधियारे का भेस सजनवा
अँसुवन संग धुँधलाई पाती
भेजो फिर संदेस सजनवा
रूठे पायल बिंदी बिछिया
कंगन काजल केस सजनवा
सौतन बन बैठा है हमरी
तुम्हरा ये परदेस सजनवा
waah re sajnawa
ReplyDeleteरूठे पायल बिंदी बिछिया
ReplyDeleteकंगन काजल केस सजनवा
hmmmmmmmmmm.........just beautiful.....
Bahut hi achhi ghazal hai bhai! :)
ReplyDeletefolk rang me rangi bahut pyaari gazal ...
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