तुम आए तो क्या क्या आया
मौसम कई सुहाने आए
पहले नींदों के ख्वाबों मे
कोई दैत्य बसा करता था
जो हर रात मेरी तन्हाई
पर पुरज़ोर हंसा करता था
तुम आए तो भागा ये और
ख्वाब नये सिरहाने आए
तुम आए तो क्या क्या आया
मौसम कई सुहाने आए
जीवन की ये लौ जल जल कर
जलने से जब ऊब चुकी थी
रोशनी से कतराती आँखें
अंधेरे मे डूब चुकी थी
तुम आए तो साथ तुम्हारे
रोशनी के परवाने आए
तुम आए तो क्या क्या आया
मौसम कई सुहाने आए
तुमसे पहले मन की चिड़िया
चीख चीख कर लेट गयी थी
नींद के आँचल मे इस बार भी
फिर से भूखे पेट गयी थी
तुम आए तो अपने संग मे
खुशियों के भी दाने लाए
तुम आए तो क्या क्या आया
मौसम कई सुहाने आए
अब इस कमरे की खिड़की को
खुली खुली मैं रखता हूँ
रोज़ हवा खाने के बहाने
तेरी ओर निकलता हूँ
तुम आए तो जाने ऐसे
कितने और बहाने आए
तुम आए तो क्या क्या आया
मौसम कई सुहाने आए
रात भी आई,चाँद भी आया
सूरज,धूप ,बहार भी आए
इंद्रधनुष के सातों रंग भी
आसमान के द्वार पे आए
तुम आए तो वापस मेरे
कितने दोस्त पुराने आए
तुम आए तो क्या क्या आया
मौसम कई सुहाने आए
Saturday, May 23, 2009
तुम आए तो क्या क्या आया
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
yogesh bhai, pahut hi man bhata, sarahniya/prashansniya geet, bhai dil ko chhoo gaya. dheron badhai.
ReplyDeletebhai vah maza aagaya
ReplyDeletebadhai