Saturday, May 23, 2009

तुम आए तो क्या क्या आया


तुम आए तो क्या क्या आया
मौसम कई सुहाने आए

पहले नींदों के ख्वाबों मे
कोई दैत्य बसा करता था
जो हर रात मेरी तन्हाई
पर पुरज़ोर हंसा करता था

तुम आए तो भागा ये और
ख्वाब नये सिरहाने आए
तुम आए तो क्या क्या आया
मौसम कई सुहाने आए


जीवन की ये लौ जल जल कर
जलने से जब ऊब चुकी थी
रोशनी से कतराती आँखें
अंधेरे मे डूब चुकी थी

तुम आए तो साथ तुम्हारे
रोशनी के परवाने आए
तुम आए तो क्या क्या आया
मौसम कई सुहाने आए


तुमसे पहले मन की चिड़िया
चीख चीख कर लेट गयी थी
नींद के आँचल मे इस बार भी
फिर से भूखे पेट गयी थी

तुम आए तो अपने संग मे
खुशियों के भी दाने लाए
तुम आए तो क्या क्या आया
मौसम कई सुहाने आए


अब इस कमरे की खिड़की को
खुली खुली मैं रखता हूँ
रोज़ हवा खाने के बहाने
तेरी ओर निकलता हूँ

तुम आए तो जाने ऐसे
कितने और बहाने आए
तुम आए तो क्या क्या आया
मौसम कई सुहाने आए


रात भी आई,चाँद भी आया
सूरज,धूप ,बहार भी आए
इंद्रधनुष के सातों रंग भी
आसमान के द्वार पे आए

तुम आए तो वापस मेरे
कितने दोस्त पुराने आए
तुम आए तो क्या क्या आया
मौसम कई सुहाने आए

2 comments:

  1. yogesh bhai, pahut hi man bhata, sarahniya/prashansniya geet, bhai dil ko chhoo gaya. dheron badhai.

    ReplyDelete

आपकी टिप्पणी हमारे लिए बहुमूल्य है..........