लगभग आधी ज़िंदगी
नशे मे
धुत रहने के बाद
जब पिता कर रहा था
नशे से
मुक्ति का संकल्प
ठीक उसी समय
कॉलेज की
पिछली दीवार के पास
बेटा अपने साथियों के साथ
लगा रहा था
ज़िंदगी का पहला कश
नशा मुक्ति की
हमारी और आपकी
प्रतिबद्धता से
कहीं ज़्यादा है
नशे की प्रतबद्धता
अपने वंश को
बचाए रखने के प्रति.....................
bahut hee paadu kavitaa hai. I wonder kisee ne comment kyon nahee kiyaa hai.
ReplyDeletehmmm.....विचारणीय कविता !
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