काश कभी हम यूँ कर सकते
वक़्त के मुँह पर उंगली रखते
भीड़ की आँखें बंद करते
और चाँद को तोड़ा मद्धम करते
खुला छोड़ देते भीतर के
चोर को अपने
जो जी मे आए,वो करते
काश कभी हम यूँ कर सकते
काश कभी ऐसा होता
हम गुम हो सकते
तुम मेरे संग बैठी होती
और मैं तेरे रुखसारों पर
उलझी ज़ुल्फ़ो को सुलझाता
काश कभी ऐसा भी होता
काश कभी ऐसा होता कि
मीलों की दूरियाँ ये अपनी
हाथों के जितनी हो जातीं
बादल अपने दोस्त हैं सारे
सूरज को वो ढक लेते तब
और मैं तेरे चेहरे की
हर नस को छूता
हर वो बात जो होंठों तक
आते-आते रुक जाती है
तुमसे कह सकता
काश कभी ऐसा हो सकता
काश कभी ऐसा होता कि
चाँद तुम्हारा हाथ पकड़कर
दुल्हन के पैरहन मे तुमको
मेरे दरवाज़े तक लाता
चाँदनी का वो घूँघट तेरा
जब मैं अपने हाथों से
तेरी सूरत से अलग हटाता
फूल बरसते आसमान से
रोशन हो जाता हर लम्हा
काश कभी ऐसा हो सकता
काश कभी ऐसा होता कि
सुबह ये मेरी तेरी नज़रों के
छींटों से खुलती और
शाम तुम्हारे रूपों की
परछाईं लेकर ढलती और
रात तुम्हारे साए की
सरगोशी मे ही कट जाती
सारा दिन तेरे रंगों की
खुश्बू मे महका करता
और भी जाने कैसे कैसे
ख्वाब दिखाया करता है दिल
काश की तुमको भी ऐसे ही
ख्वाब दिखाया करता हो दिल
काश की ये सब कुछ हो सकता
काश कभी ऐसा हो सकता
Thursday, July 16, 2009
काश कभी ऐसा हो सकता
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और भी जाने कैसे कैसे
ReplyDeleteख्वाब दिखाया करता हो दिल
काश की ये सब कुछ हो सकता
काश कभी ऐसा हो सकता
sweet & pretty beautiful...because it is ad dream..."Kaash" hope one day at least few things will become true...
thanks for your appreciation.
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