सूरज की आँखों मे कैसी लाली है
जगराते मे पिछली रात निकाली है
ऊंघ रहा है अब बादल के पल्लू मे
बादल ने भी उसपे चुन्नी डाली है
रात को चंदा,दिन मे सूरज पकता है
बदला करती आसमान की थाली है
चाँदनी को फिर रात ने है न्योता भेजा
पीले रंग की सारी आज निकाली है
बावरे ने दिन-रात तुम्हारे ख्वाबों मे
जागके अपनी खुशी की उम्र बढ़ा ली है
wonderful bhaai
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