Monday, April 20, 2009

निर्णय

कभी कभी कुछ निर्णय
सिर्फ़ एक क्षण मे हो जाते हैं
उस क्षण मे
उस चीज़ को पाने की लालसा
बढ़ जाती है इतनी अधिक
कि फिर कुछ नही दिखता है
उसके आगे-पीछे
ना तो दिखती हैं
उस चीज़ को पाने की राह मे
आने वाली दिक्कतें
ना ही दिखते हैं
इस निर्णय से असंतुष्ट
परिवार वालों के
बिगड़ते हुए चेहरे
और ना ही दिखती हैं
लोगों की उठती हुई उंगलियाँ
इनमे से कुछ नही दिखता
बल्कि एक अजीब सी ही
चीज़ होती है
पाए बिना ही
उस चीज़ को पा लेने की
खुशी के एहसास का
एक छोटा सा हिस्सा
पता नही कौन रख जाता है
मन की जीभ पर
(कुछ कुछ वैसा ही
जैसे हलवाई,
बेचने से पहले
चखने को देता है
थोड़ी सी मिठाई)
एहसास के
इस बहुत छोटे से हिस्से को
नज़रअंदाज़ कर पाना
बहुतों के बस मे नही होता
ख़ासकर आम आदमी के बस मे तो
बिल्कुल नही
(हाँ,किसी मनोयोगी के बस मे
हो सकता है शायद)

मैं भी तो बेहद आम हूँ
एक रोज़
ऐसे ही किसी क्षण मे
तुम्हे पाने के
उस अद्भुत एहसास की आँच मे
तुम्हे पा लेने का
निर्णय कर बैठा हूँ
माफ़ करना
मगर अब इस निर्णय से
परे हट पाना
मेरे बस की बात नही है..............

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