Saturday, April 4, 2009

ठंड

घर से दूर
यहाँ ठंड मे
जब चलती हैं
बर्फ़ीली हवाएँ
तो मेरे सारे दोस्त
ढक लेते हैं खुद को
अपनो के ख़यालों मे

मेरे पास भी है
तुम्हारी यादों के
ऊन के गोले
लेकिन जब भी बुनता हूँ
अपने लिए स्वेटर
तो गला छूट जाता है
और ठंड हमेशा
गले से ही तो घुसती है
मुश्किल से कट रही हैं
इस बार सर्दियाँ

इस बार आऊँ
तो मेरी नाप लेकर
तुम भी मुझे बुन देना
बंद गले का
एक मखमली स्वेटर.......

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